Thursday, July 10, 2008

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ये बता दे मुझे जिंदगी,
प्यार की रह के हमसफ़र
किस तेरेह बन गए अजनबी

फूल क्यों सारे मुरझा गए
किसलिए बुझ गई चांदनी,

कल जो बाँहों में थी , और निगाहों में थी,
अब वो गर्मी कहाँ खो गई,
न वो अंदाज़ है , न वो आवाज़ है ,
अब वो नरमी कहाँ खो गई।

बेवफा तुम नही , बेवफा हम नही,
फ़िर वो जज़्बात क्यों सो गए,
प्यार तुमको भी है , प्यार हमको भी है,
फासले फ़िर ये क्यों हो गए।

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Working in SOA space circa 2007. Having implementation experience involving Oracle SOA Suite 10 and 11g. Catch more of this in the posts.